Chamba,13 May(TSN):चम्बा जिले के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के अंतिम छोर पर स्थित गांव सुरेई और उरना के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं की बाट जोह रहे हैं। इन गांवों तक पहुंचने का सड़क मार्ग बीच में ही समाप्त हो जाता है,जिसके बाद कांगड़ा की सीमा तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को लगभग 20 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है।
इस मार्ग में पड़ने वाली नदी को पार करने के लिए लकड़ी के दो अस्थायी पुल बनाए गए हैं, लेकिन अब उनकी हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उन पर चलना खतरे से खाली नहीं। लकड़ियाँ सड़ चुकी हैं, और सुरक्षा के लिए रेलिंग जैसी कोई व्यवस्था नहीं है।स्थानीय लोगों का कहना है कि ये पुल न केवल ग्रामीणों के लिए, बल्कि ट्रैकिंग पर जाने वाले सैलानियों और भेड़-बकरियों को चराने जा रहे चरवाहों के लिए भी मुख्य रास्ता हैं। बीमार होने पर मरीजों को रात के अंधेरे में इन्हीं खतरनाक पुलों से उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है,जिससे जान का जोखिम और बढ़ जाता है।
पंचायत प्रधान अशोक राजपूत सहित कई ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि सिलंग नाले पर बने इन पुलों का पुनर्निर्माण किया जाए।उनका कहना है कि यदि जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया, तो यहां किसी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता.ग्रामीणों की यह मांग है कि इस क्षेत्र को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए स्थायी पुल का निर्माण कार्य शीघ्र आरंभ किया जाए।