राहुल चावला ,धर्मशाला ( TSN)-तपोवन विधानसभा भवन में बुधवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र से पहले मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में सर्वदलीय बैठक रखी गई थी। बैठक साढ़े बारह बजे रखी गई थी, लेकिन बैठक में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर नहीं पहुंचे। हालांकि उनका एक बजे तक इंतजार किया गया और जब उनसे दूरभाष पर संपर्क किया गया तो उन्होंने स्वास्थ्य ठीक न होने के चलते बैठक में आने के लिए असमर्थता जताई।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बैठक में आने की सहमति दी थी, विधानसभा सचिवालय ने भी सोमवार को नेता प्रतिपक्ष से संपर्क किया तो उन्होंने आने की बात कही थी। एक बजे तक नेता प्रतिपक्ष का इंतजार करने के बाद जब उनसे दूरभाष पर संपर्क किया तो उन्होंने सर्वदलीय बैठक में आने की असमर्थता बताई कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान साढ़े बारह बजे पहुंच चुके थे और बैठक में उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया और उपाध्यक्ष भी पहुंचे थे तथा हमने बैठक में संबंधित विषयों पर चर्चा की है।
बुधवार के बिजनेस को दी एपू्रवल, लग रहे दोनों दलों के विषय
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि बुधवार के बिजनेस को मैंने एपू्रवल दे दी है, दोनों दलों के विषय सत्र में लग रहे हैं। नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) की भी शुरूआत हो रही है, उम्मीद अगले चार दिनों तक सत्ता पक्ष और विपक्ष हिमाचल प्रदेश के विषयों पर चर्चा करेंगे और उसके सार्थक परिणाम निकलेंगे। विपक्ष के सर्वदलीय बैठक में न आने पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सत्र से पहले के प्रयास हमने करके देख लिए, अब कल सत्र के दौरान भी प्रयास करके देखेंगे। हमारा दायित्व नियमों के अनुसार सदन को चलाना है, उसे मैं चलाउंगा, उसे मैं अवरुद्ध नहीं होने दूंगा।
संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि यह पहली बार नहीं, बल्कि दूसरी बार हुआ है कि विपक्ष सर्वदलीय बैठक से अनुपस्थित रहा हो। चौहान ने कहा कि सर्वदलीय बैठक का बायकाट करके विपक्ष ने न केवल विधानसभा अध्यक्ष का अनादर किया है, बल्कि जो संसदीय प्रणाली है, जो प्रथाएं बनी हैं, उनका भी अनादर किया है। चुने हुए प्रतिनिधियों को पुराने समय से चली आ रही परंपराओं को निभाना सभी का दायित्व है। हम सबकी विचारधारा अलग-अलग हो सकती है, लेकिन स्पीकर कक्ष में बैठकर सर्वदलीय बैठक में अपनी बात और विरोध को रखा जा सकता है। विपक्ष का सर्वदलीय बैठक में न आना दुर्भाग्यपूर्ण है, मुझे लगता है कि यह उनकी बहुत बड़ी गलती है, लेकिन मैं चाहूंगा कि कल से सत्र में आकर भाजपा के विधायक सदन में आकर अपनी बात रखें।
विपक्ष न आए तो बैठक का नहीं औचित्य
सर्वदलीय बैठक बुलाना विधानसभा अध्यक्ष का अधिकार है, यदि विपक्ष के नेता या विधायक बैठक में नहीं आएगा तो इस बैठक को रखने का कोई औचित्य ही नहीं है। मैंने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया है कि दूसरी बार सर्वदलीय बैठक से विपक्ष अनुपस्थित रहा है, तो इसका औचित्य कुछ नहीं रह जाता।
भाजपा राज में 3 दिन का हुआ था शीतकालीन सत्र
शीतकालीन सत्र अमूमन 4 से 5 दिनों का रखा जाता है, क्योंकि पर्यटन सीजन शुरू हो रहा है। होटलों की उपलब्धता की समस्या रहती है। भाजपा के समय तो 3 दिन का भी शीतकालीन सत्र रखा गया है। एजेंडा होगा और भाजपा कहती है कि इसे बढ़ाया जाए तो बढ़ाया जा सकता है। मानसून सत्र भी 5 से 6 दिन का होता था, सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने 10 दिन का सत्र रखा और भाजपा के कहने पर एक दिन बढ़ाकर उसे 11 दिन किया।