Mandi-महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के नागभीड़ गांव से आए उद्यमी विनोद दीपक सलामे ने हिमाचल प्रदेश के मंडी में आयोजित एमएसएमई एक्सपो में महुआ फल और अन्य जड़ी-बूटियों से बने प्राकृतिक उत्पादों का स्टॉल लगाया है। इस 5 दिवसीय एक्सपो में देशभर से आए 47 अन्य उद्यमियों के बीच विनोद सलामे के स्टॉल ने खास ध्यान आकर्षित किया।
महुआ के औषधीय चमत्कार:
विनोद सलामे का कहना है कि महुआ एक दुर्लभ और अत्यंत गुणकारी जंगली फल है, जिसे आदिवासी समुदाय पीढ़ियों से उपयोग करता आ रहा है। इस फल से तैयार किया गया राब न केवल शुगर नियंत्रण, पाचन सुधार, भूख बढ़ाने, और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में सहायक है, बल्कि महिलाओं के मासिक चक्र व जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं में भी लाभकारी है।महुआ की गुठली से निकाला गया तेल भी शरीर के दर्द, विशेषकर जोड़ व घुटनों के दर्द में रामबाण सिद्ध हो रहा है। इन सभी उत्पादों को विनोद ने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) से प्रमाणित करवाकर नेचुरल और ऑर्गेनिक रूप में बाजार में उतारा है।
विनोद बताते हैं कि उनके गांव में 300 से अधिक आदिवासी “बंधन विकास केंद्र” के तहत काम कर रहे हैं। वे जंगलों से महुआ और अन्य औषधीय जड़ी-बूटियां इकट्ठा कर समूहों में विभाजित होकर उत्पाद निर्माण में लगे हुए हैं। इससे न सिर्फ उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार मिला है, बल्कि वे एमएसएमई योजनाओं के माध्यम से अपने उत्पाद देशभर में पहुंचा रहे हैं।उनका दावा है कि महुआ फल का नियमित सेवन करने वाले नागभीड़ क्षेत्र के कई बुजुर्ग 100 वर्ष से भी अधिक उम्र तक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। यहां के लोग महुआ की चटनी बनाकर रोटी के साथ खाते हैं और इसे अपने पारंपरिक आहार का हिस्सा मानते हैं।विनोद सलामे ने भारत सरकार और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय का आभार जताया कि उन्होंने आदिवासी समुदाय को अपनी पहचान और स्वरोजगार का मंच प्रदान किया।