Mandi,Dharamveer(TSN)-शानन पावर प्रोजेक्ट की 99 वर्षों की लीज अवधि पूरी होने के बाद अब हिमाचल प्रदेश सरकार इसे पंजाब से पुनः अपने अधीन लेने की प्रक्रिया में जुटी है।यह प्रोजेक्ट मंडी जिले के बरोट क्षेत्र में स्थित है, जहां उहल नदी पर बांध बनाकर जोगिंद्रनगर तक पाइपलाइन के ज़रिए पानी पहुंचाया जाता है और बिजली उत्पादन होता है।हालांकि,स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पावर प्रोजेक्ट से उन्हें कभी कोई लाभ नहीं मिला।उल्टा,वर्षों से सिर्फ परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप–“न रोजगार,न विकास”
ग्राम पंचायत बरोट के प्रधान रमेश कुमार ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत काफी जमीन पंजाब सरकार के अधीन है, जिससे यहां कोई भी विकास कार्य संभव नहीं हो पा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार द्वारा न तो रोजगार दिया गया,
न मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई गईं और न ही किसी भी प्रकार का सहयोग किया गया।
स्थानीय लोगों का कहना ये
शेर सिंह,राजीव और अनिल सूद जैसे स्थानीय निवासियों ने भी चिंता जताई कि प्रोजेक्ट ने न क्षेत्र को कोई फायदा दिया और न ही लोगों की आजीविका में कोई योगदान।इसके विपरीत,उनकी निजी ज़मीनों पर निर्माण तक की मनाही है, जिससे वे खासे नाराज़ हैं।उनका स्पष्ट कहना है कि प्रदेश सरकार को यह प्रोजेक्ट तुरंत प्रभाव से अपने अधीन ले लेना चाहिए ताकि स्थानीय जनता को भी इसके माध्यम से विकास और रोजगार का लाभ मिल सके।
इतिहास और वर्तमान स्थिति:
शानन पावर प्रोजेक्ट की स्थापना 1925 में हुई थी। पंजाब के पुनर्गठन के समय इसे 99 वर्षों की लीज पर पंजाब सरकार को सौंपा गया था,जिसकी अवधि वर्ष 2024 में समाप्त हो चुकी है। अब इस प्रोजेक्ट की वापसी को लेकर हिमाचल और पंजाब सरकार के बीच विवाद की स्थिति बनी हुई है।
गौरतलब है कि बरोट के लोगों की पीड़ा इस बात को साफ दर्शाती है कि संसाधनों के दोहन के बावजूद यदि स्थानीय विकास न हो,तो वह योजना केवल एकतरफा लाभ का सौदा बन जाती है।अब सभी की निगाहें प्रदेश सरकार पर हैं, कि क्या वह इस प्रोजेक्ट को पुनः अपने नियंत्रण में लेकर जनता की अपेक्षाएं पूरी कर पाएगी।