Shimla, 15 October -हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए राज्य सरकार को मंदिरों में चढ़ावे की धनराशि का इस्तेमाल किसी भी सरकारी योजना में करने से रोक दिया है।अदालत ने कहा कि दान की राशि केवल धार्मिक और मंदिर-संबंधित कार्यों पर ही खर्च की जा सकती है।
जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और राकेश कैंथला की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि मंदिरों का पैसा सड़कों,पुलों,या सार्वजनिक भवनों जैसी सरकारी परियोजनाओं पर खर्च नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर अधिकारियों या कमिश्नर के लिए वाहन खरीदने या VIP उपहारों पर भी इस धन का उपयोग नहीं किया जा सकेगा।
कोर्ट ने कहा:देवता का धन,सरकार का नहीं
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मंदिरों की दान राशि देवता की संपत्ति है,न कि सरकार की। ट्रस्टी केवल संरक्षक हैं,और इस धन का दुरुपयोग आपराधिक विश्वासघात माना जाएगा।अगर किसी ट्रस्टी या अधिकारी द्वारा मंदिर के धन का गलत इस्तेमाल पाया जाता है,तो उससे वह राशि वसूली जाएगी और वह व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होगा।
याचिका कैसे पहुंची अदालत तक
यह मामला कश्मीर चंद शांड्याल की ओर से दायर जनहित याचिका के बाद कोर्ट तक पहुंचा।याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की थी कि हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ निधि अधिनियम, 1984 का कड़ाई से पालन कराया जाए और मंदिरों की दान राशि का पारदर्शी लेखा-जोखा रखा जाए।
पारदर्शिता पर जोर
कोर्ट ने मंदिरों को आदेश दिया है कि वे हर महीने की आय-व्यय रिपोर्ट अपनी वेबसाइट या नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक करें।इससे श्रद्धालुओं में यह विश्वास बनेगा कि उनका दान केवल धार्मिक और सामाजिक कल्याण के लिए उपयोग हो रहा है।
सरकारों पर टिप्पणी
याचिकाकर्ता ने बताया कि पिछली कांग्रेस और भाजपा दोनों सरकारों ने मंदिरों के फंड का उपयोग सरकारी योजनाओं में करने की कोशिश की थी।
कांग्रेस सरकार ने फरवरी 2025 में ‘सुख शिक्षा योजना’ और ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना’ के लिए मंदिरों से योगदान मांगा था।वहीं भाजपा सरकार ने 2018 में मंदिरों के बजट का 15% एनजीओ संचालित गोशालाओं को देने की घोषणा की थी.
फैसले का असर
इस फैसले के बाद सरकार अब मनमाने ढंग से मंदिरों के फंड का उपयोग नहीं कर सकेगी।मंदिरों के पैसे की पारदर्शिता बढ़ेगी और अधिकारियों की मनमानी पर अंकुश लगेगा।
प्रदेश में सरकारी नियंत्रण वाले मंदिर
फिलहाल हिमाचल प्रदेश में 36 मंदिर सरकारी नियंत्रण में हैं, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इन मंदिरों में चढ़ावे के रूप में 4 अरब रुपये से अधिक की राशि जमा है।