Shimla,15June-अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी चुनौती इंसान की राह नहीं रोक सकती—यह कहावत शिमला की डॉ.इतिका चौहान ने चरितार्थ कर दिखाई है।दृष्टिबाधा और ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि अर्जित की है और वर्तमान में मतियाना के राजकीय बॉयज़ स्कूल में राजनीति विज्ञान की लेक्चरर के रूप में कार्यरत हैं।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो.अजय श्रीवास्तव के अनुसार, कोटखाई की रहने वाली डॉ.इतिका उन चुनिंदा दृष्टिबाधित लोगों में हैं जिन्होंने उच्च शिक्षा की बुलंदियों को छूते हुए शोध क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग से “गैर सरकारी संगठनों का हस्तक्षेप और महिला सशक्तिकरण: शिमला जिले की केस स्टडी” विषय पर शोध कार्य पूरा किया,जिसमें उनकी शोध पर्यवेक्षक प्रो.अनुपमा कंवर रहीं।
शिमला की डॉ.इतिका चौहान बनीं प्रेरणा की प्रतीक
डॉ.इतिका चौहान को चौथी कक्षा में ब्रेन ट्यूमर का पता चला था,जिसके इलाज के दौरान उनकी दृष्टि प्रभावित हुई। इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी।समय-समय पर ऑपरेशन और इलाज के बावजूद पढ़ाई के प्रति उनका समर्पण बना रहा।उन्होंने अपनी पढ़ाई बड़े प्रिंट,ऑनलाइन सामग्री और मैग्नीफाइंग ग्लास के सहारे पूरी की।उन्होंने आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई जुब्बल से,12वीं शिमला के लक्कड़ बाजार स्थित राजकीय कन्या विद्यालय से,स्नातक की पढ़ाई आरकेएमवी शिमला से तथा एमए और पीएचडी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से की।
तीन वर्षों से शिक्षा विभाग में बतौर लेक्चरर दें रही सेवाएं
डॉ.इतिका पिछले तीन वर्षों से शिक्षा विभाग में बतौर लेक्चरर सेवाएं दे रही हैं।उनके पिता जगदीश चौहान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त हैं और माता रीता चौहान गृहणी हैं।वह अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, शोध गाइड प्रो. अनुपमा कंवर, मित्रों और विशेष रूप से उमंग फाउंडेशन को देती हैं,जिसकी मदद से उन्हें उच्च शिक्षा की राह में निरंतर सहयोग मिला.