Shimla,15 October-हिमाचल प्रदेश सरकार ने वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति से 401 करोड़ रुपये प्राप्त करने वाली महत्वपूर्ण कानूनी सफलता हासिल की है।अब राज्य मशोबरा रिजॉर्ट लिमिटेड (एमआरएल) कंपनी का एकमात्र स्वामी बन जाएगा।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि राज्य संयुक्त उद्यम कंपनी(जेवीसी) के बैंक बैलेंस,शेयर होल्डिंग्स और पूंजी के 50 प्रतिशत का एकमात्र स्वामी बन गया है। 14 अक्टूबर,2025 के न्यायालय के निर्णय के अनुसार, लगभग 320 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस राज्य को हस्तांतरित किया जाएगा। इसके अलावा,मध्यस्थ निर्णय के तहत राज्य को 25 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जाएगा।न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि संयुक्त उद्यम कंपनी में ईस्ट इंडिया होटल्स (ईआईएच) की पूरी शेयर होल्डिंग 13 करोड़ रुपये की राशि राज्य को हस्तांतरित की जाएगी। इसके साथ ही, 68 करोड़ रुपये ईआईएच को वापस किए जाएंगे, जो कंपनी में उनकी जमा पूंजी का हिस्सा हैं। इससे राज्य को अतिरिक्त 68 करोड़ रुपये का लाभ होगा।एमआरएल पहले वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति का संचालन ईआईएच और राज्य की संयुक्त उद्यम कंपनी के रूप में करती थी।राज्य सरकार के प्रवक्ता के अनुसार यह कानूनी लड़ाई लगभग 30 वर्षों से न्यायालय में विचाराधीन थी। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के विशेष प्रयासों के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने 20 फरवरी, 2024 के अपने आदेश में संपत्ति का स्वामित्व राज्य के पक्ष में हस्तांतरित किया।31 मार्च, 2025 को राज्य सरकार ने संपत्ति का भौतिक कब्जा और स्वामित्व प्राप्त कर लिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के प्रमुख वकीलों की मदद से राज्य ने इस मामले को मजबूती से लड़ा और लोगों के हित में जीत हासिल की।इससे पहले कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना के मामले में भी राज्य के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय आया था,जिससे राज्य को प्रतिवर्ष 250 करोड़ रुपये से अधिक आय हो रही है।मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल के लोगों के हित की रक्षा के लिए अपने प्रयास जारी रखेगी और किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगी।