Mandi,05 May–हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने राज्य सरकार पर तानाशाही प्रवृत्ति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षकों की मांगों को दबाना लोकतंत्र के खिलाफ है।सराज विधानसभा क्षेत्र के दौरे के दौरान उन्होंने कहा कि संवाद के अभाव में शासन नहीं चल सकता। साथ ही,उन्होंने ‘आंबेडकर सम्मान संपर्क अभियान’ के तहत अनुसूचित जाति व जनजाति समुदाय से भी संवाद किया और डॉ. भीमराव आंबेडकर के योगदान को याद किया
जयराम ठाकुर ने कहा कि शिक्षकों की जायज मांगों को अनदेखा करते हुए राज्य सरकार ने वार्ता के बजाय दमन का रास्ता अपनाया है। उन्होंने बताया कि राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा 16 अप्रैल को सरकार को ज्ञापन भेजा गया था,लेकिन जवाब में सरकार ने कई अध्यापकों को निलंबित कर दिया और 900 से अधिक शिक्षकों पर मुकदमे दर्ज करवा दिए। यह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है,बल्कि लोकतंत्र की भावना के भी विपरीत है।उन्होंने सवाल उठाया कि जब शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है,तब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह शिक्षकों से संवाद कर समाधान निकाले,न कि शिक्षा व्यवस्था को बाधित करे।उन्होंने कहा कि बच्चों का भविष्य सबसे ऊपर होना चाहिए, लेकिन वर्तमान सरकार इसके प्रति पूरी तरह उदासीन दिखाई दे रही है।
आंबेडकर सम्मान संपर्क अभियान’ के तहत सराज में जनसंवाद भी किया
जयराम ठाकुर ने सराज के खनेरी और खूनागी गांवों में ‘आंबेडकर सम्मान संपर्क अभियान’ के तहत अनुसूचित जाति और जनजाति समुदायों के प्रबुद्ध नागरिकों से संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर के सामाजिक न्याय और समानता के लिए किए गए संघर्षों को याद किया। उन्होंने कहा कि भाजपा बाबा साहेब के विचारों को आगे बढ़ा रही है और केंद्र सरकार द्वारा उनके स्मृति स्थलों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया गया है।उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने वर्षों तक डॉ.आंबेडकर को वह सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे, जबकि भाजपा सरकार ने उनके विचारों को धरातल पर उतारने का काम किया है।