Shimla, 8 May (TSN)-ग्राम पंचायत नयाग्राम के अंतर्गत स्थित गाँव घड़ौ में एक पुराना भवन आज भी गौरवशाली अतीत की गवाही देता है। स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार, यह भवन किसी समय राजा की कचहरी हुआ करता था। उपेक्षा के कारण आज यह जीर्ण-शीर्ण हो चला है, लेकिन इसकी भव्यता और पारंपरिक निर्माण शैली इसे अब भी विशेष बनाती है।
स्थापत्य और संरचनात्मक विशेषताएँ
यह ऐतिहासिक भवन स्थानीय भूकंप-रोधी तकनीक से निर्मित है, जो इसे वर्षों से सुरक्षित बनाए हुए है। इसकी लकड़ी पर की गई नक्काशी उत्कृष्ट शिल्पकला का प्रतीक है, जो उस युग की कलात्मक समझ और सौंदर्यबोध को दर्शाती है।
प्रशासनिक केंद्र के रूप में भूमिका
गाँव के बुजुर्गों के अनुसार, इस भवन में कभी ‘चाड’ (राजस्व अधिकारी) और ‘लखनारा’ (लेखपाल) बैठा करते थे। राजा जब गाँव के दौरे पर आते, तो यही भवन उनकी अस्थायी कचहरी बन जाता। यहीं पर जनसुनवाई होती, विवाद सुलझाए जाते, और प्रशासनिक निर्णय लिए जाते। यह स्थान प्रशासनिक, सामाजिक और न्यायिक गतिविधियों का केंद्र था।
संरक्षण की आवश्यकता
आज यह इमारत हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की एक अमूल्य धरोहर है। आवश्यकता है कि इसे संरक्षित किया जाए ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ इस इतिहास से जुड़ सकें और जान सकें कि गाँवों में भी शासन-प्रशासन की कितनी व्यवस्थित परंपराएँ थीं।