24 June,Shimla-लंबे अवकाश के बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी संजीव गांधी ने एक बार फिर शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) का पदभार संभाल लिया है।उनकी वापसी से जिले में कानून व्यवस्था और विशेष रूप से नशे के खिलाफ मुहिम को लेकर नई ऊर्जा देखी जा रही है। गांधी को राज्यभर में उनकी ईमानदारी, सख्त अनुशासन और नशा विरोधी अभियानों की सफलता के लिए जाना जाता है।
पूर्व में शिमला में एसपी रहते हुए उन्होंने ड्रग्स तस्करों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई कर कई अंतरराज्यीय गिरोहों को ध्वस्त किया था।करोड़ों रुपये की अवैध नशीली सामग्री की जब्ती और दर्जनों गिरफ्तारियों के पीछे उन्हीं की रणनीति रही थी।
‘एंटी ड्रग्स ऑपरेशन’ की वापसी
सूत्रों की मानें तो उनकी दोबारा तैनाती के साथ ही पुलिस विभाग ने जिले में एंटी-ड्रग्स ऑपरेशन को फिर से तेज़ करने की तैयारी शुरू कर दी है।स्थानीय थानों को निर्देश दिया गया है कि वे नशा कारोबार में संलिप्त व्यक्तियों की पहचान कर, शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित करें।
संजीव गांधी बोले — “नशे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस”
एसपी संजीव गांधी का स्पष्ट कहना है कि:”नशा समाज की जड़ें खोखला कर रहा है। इसके खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति ही समाधान है।”उनकी इसी कार्यशैली के चलते वे आम जनता के बीच “सिंघम ऑफ शिमला” के नाम से लोकप्रिय हैं, जबकि अपराधियों के लिए उनका नाम खौफ का प्रतीक बन चुका है।
जनता में विश्वास,अपराधियों में खौफ
संजीव गांधी की वापसी को लेकर शिमला की जनता में एक बार फिर सुरक्षा और विश्वास की भावना प्रबल हुई है। युवा वर्ग और अभिभावकों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में शहर नशामुक्ति की दिशा में तेज़ी से बढ़ेगा।
संजीव गांधी की वापसी न केवल शिमला पुलिस के लिए बल्कि आम नागरिकों के लिए भी नई उम्मीद की किरण है। नशे के खिलाफ फिर से छेड़ी जा रही इस जंग में पुलिस और जनता का गठजोड़ अपराधमुक्त समाज की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।