चरखी दादरी (एकता): उम्र की इस दहलिज पर इस ‘दादी’ में खेलने का जज्बा इस कदर हावी है कि वह देश के लिए एक के बाद एक मेडल जीत रही हैं। सभी उनके करिश्में को सलाम कर रहे हैं। हरियाणा में ‘उड़नपरी दादी’ के नाम से मशहूर 106 साल की रामबाई ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। बता दें कि रामबाई ने मलेशिया में अपने सपने को पूरा किया। मीडिया सूत्रों के अनुसार रामबाई ने चार मेडलों पर कब्जा करते हुए वर्ल्ड रिकार्ड बना डाला है। बता दें कि चरखी दादरी के गांव कादमा निवासी रामबाई उस समय सुर्खियों में आई थी, जब उन्होंने पिछले साल बेंगलुरु में आयोजित नेशनल प्रतियोगिता के दौरान 100 मीटर की फर्राटा रेस 45.40 सेकंड में पूरी कर नया रिकॉर्ड कायम किया था।
मलेशिया में चमकाया देश का नाम
नेशनल रिकार्ड बनाने के बाद रामबाई ने अपने सपने को पूरा करने का सोचा। उन्होंने मलेशिया में अपने देश के लिए गोल्ड मेडल जीता। इतना ही नहीं मन में सपना ले पासपोर्ट भी बनवाया। मलेशिया में 16 व 17 सितंबर को हुई वर्ल्ड मास्टर चैंपियनशीप में पूरा हुआ। रामबाई ने रनिंग इवेंट में हिस्सा लेते हुए 100 मीटर दौड़, 200 मीटर दौड़, गोला फेंक और डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल जीता। जब वह जीतकर अपने गांव पहुंची तो सभी ने उन पर गर्व महसूस किया। इतना ही नहीं उनके आगे के भविष्य की भी कामना की। रामबाई के परिवार की चार पीढिय़ों ने भी पिछले साल कई मेडल जीते थे। अगर सरकार उनकी मदद करें तो नानी रामबाई विदेशी धरती पर देश के लिए मेडल जीतने का सिलसिला जारी रख सकती हैं। अब देखना होगा कि सरकार को क्या मंजूर है।
देहरादून में भी जीते चार मेडल
रामबाई ने देहरादून में भी नेशनल एथलेटिक्स में 100 मीटर, 200 मीटर दौड़, रिले दौड़, लंबी कूद में भाग लेकर गोल्ड मेडल अपने नाम किए। उन्होंने 2 मिनट से भी कम समय में रेस पूरी की थी।
जानिए क्या है दादी की ताकत का राज
रामबाई ने बताया कि उनके फिट रहने के पीछे कई कारण है। जो उन्होंने सबको बताए। वे फिट रहने के लिए रोजाना 5 किलोमीटर दौड़ती हैं। इसके अलावा शुद्ध शाकाहारी 250 ग्राम देसी घी और आधा किलो दही, घी का चूरमा, दिन में दो बार 500 मिलीलीटर दूध पीती हैं। नाश्ते में दूध के साथ फ्रूट्स भी खाती है। वे रात को जल्दी सोकर सुबह सूरज चढ़ने से पहले ही उठ कर सैर करती हैं। जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है।